सोपान-परिचय


माया-कल्पित-जगत्-सोपान
सोपान-परिचय शास्त्र सतत् उपदेश करते हैं कि यह दृष्य जगत् मिथ्या है । व्यक्ति का अनुभव, इस दृष्य जगत् को प्रतिपल व्यवहार में सत्य अनुभव कर रहा है । इसलिये उपरोक्त वर्णित शास्त्र उपदेश किसी भी व्यक्ति को सहज ग्राह्य नहीं हो पाते है । व्यक्ति का मस्तिष्क शास्त्र के उपदेशों के प्रति सम्मानित भाव संजोये हुये, उपरोक्त विरोधाभास की स्थिति का निराकरण खोजता है । माया अद्भुद् शक्ति है । यह माया शक्ति ब्रम्ह को इस दृष्य जगत् के रूप में कैसे प्रस्तुत करती है, कि सर्वत्र भ्रान्ति जगत् ही सत्यवद् अनुभवगम्य होता है, और सत्य ब्रम्ह अदृष्य और अनुभवातीत होकर, एक रहस्यमय शास्त्र उपदेश बनकर रह जाता है । वर्तमान सोपान में उपरोक्त वर्णित माया शक्ति द्वारा जगत् की संरचना में प्रयुक्त अद्भुद् विज्ञान का, यथा शास्त्र उपदेश, परिचयात्मक उल्लेख, प्रस्तुत करने का प्रयत्न लक्षित किया जा रहा है । ..... क्रमश:

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

साधन-चतुष्टय-सम्पत्ति

चिदाभास

निषिद्ध-कर्म