मस्तिष्क के सन्सकार : चरण 53
पद-परिचय-सोपान
मस्तिष्क के सन्सकार : चरण 53 ज्ञान विषयक उपदेश को व्यक्ति मस्तिष्क में ही धारण कर सकता है । इस
आलोक में मस्तिष्क और मस्तिष्क के सन्सकार अति महत्वपूर्ण प्रकरण है । व्यक्ति का
उत्थान इस मस्तिष्क के नियन्त्रित आचरण द्वारा ही सम्भव हो सकता है । यह मस्तिष्क
अहंकार का भी स्थल है । यह प्रकृतीय अर्थात् माया की रचना का फल है । इसलिये
मस्तिष्क के सन्सकार अति महत्वपूर्ण विषय है । उचित सन्सकार व्यक्ति के अपने
प्रयत्न, और दैव कृपा दोनो के समन्वय द्वारा ही
सम्भव हो सकते है । इसलिये शास्त्र उपदेश करता है कि प्रयत्न करते रहो ईश्वर कृपा
की याचना करते रहो वाँक्षित फल अवश्य प्राप्त होगा.........क्रमश:
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