मस्तिष्क के सन्सकार : चरण 52


पद-परिचय-सोपान
मस्तिष्क के सन्सकार : चरण 52 ज्ञान विषयक शास्त्र उपदेश व्यक्ति को धारण करने के उद्देष्य से गुरू उन्हे जिज्ञासु शिष्य को देता है । शास्त्रों के निर्देश व्यक्ति धारण कर यथा उपदेश जीवन यापन करेगा तभी उन उपदेशों में निहित ज्ञान तत्व के प्रसाद का भोग कर सकेगा यह शास्त्र का निर्णय है । अज्ञान के फल से यह सन्सार है । गुरू उपदेश करता है कि ज्ञान के प्रसाद से मुक्ति है । मुक्ति दो स्तरीय है । प्रथम जीवन के शेष संचित फल क्षीण होने पर्यन्त इस सन्सार से मुक्ति है । द्वितीय इस जीवन की यात्रा पूर्ण होने पर इस जन्म मृत्यु के चक्र से मुक्ति है.........क्रमश:

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