मस्तिष्क के सन्सकार : चरण 48
पद-परिचय-सोपान
मस्तिष्क के सन्सकार : चरण 48 परमात्मा को समर्पण का अभिप्राय क्या है ? परमात्मा और आत्मा
एक ही सत्य के दो व्यवहारिक जगत् में प्रचलित नाम मात्र हैं । परमात्मा समष्टि है
तो आत्मा व्यष्टि है । परमात्मा को समर्पण का अर्थ समष्टि को समर्पण है । उपरोक्त
संदर्भित प्रश्न का मूल निहित है, कि किसका समर्पण ? यदि वाच्यार्थ से विचार किया जाय, तो आत्मा का समर्पण, परन्तु यह उचित सिद्ध नहीं होता, क्योंकि आत्मा और परमात्मा एक ही हैं ।
इसलिये लक्ष्यार्थ लिया जायेगा स्वभाव का समर्पण, स्वभाव व्यक्ति का पूर्व जन्मों के कर्मों से सृजित है, इसलिये इस स्वभाव का परमात्मा को समर्पण करने द्वारा व्यक्ति समष्टि को
व्यष्टि का अर्पण कर रहा है । यह प्रकृति के नियम के अनुकूल है । व्यष्टि उपरोक्त
कथित समर्पण द्वारा समष्टि में समाहित हो रहा है..........क्रमश:
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