मस्तिष्क के सन्सकार : चरण 32
पद-परिचय-सोपान
मस्तिष्क के सन्सकार : चरण 32 ईश्वर ही जगत् का उपादान कारण भी है और
ईश्वर ही जगत् का निमित्त कारण भी है । जिस प्रकार समस्त स्वर्ण आभूषणों का स्वर्ण
उपादान कारण है । समस्त मृद पात्रों का मृद उपादान कारण है । उसी प्राकार समस्त
जगत् का ईश्वर उपादान कारण है । जिस प्रकार समस्त स्वर्ण आभूषणों का स्वर्णकार
निमित्त कारण है । समस्त मृद पात्रों का कुम्हार निमित्त कारण है । उसी
प्रकार ईश्वर समस्त जगत् का निमित्त कारण है । उपरोक्त अभिव्यक्ति श्रुति उपदेश है
। उपरोक्त अभिव्यक्ति शास्त्र निर्देश हैं । उपरोक्त अभिव्यक्ति को ही पुराणों में
व्यक्त करते हुये नारायण को कण कण में व्याप्त बताया गया है । व्यवहार्य
जगत् में ईश्वर प्रत्येक नाम-रूप में व्याप्त है । व्यवहार्य जगत् में ईश्वर कण कण
में उपलब्ध है । यदि कोई कंचिद ईश्वर का दर्शन करना चाहता है, तो उसे
कहीं विस्तृत शोध की आवश्यकता नहीं है, ईश्वर प्रत्येक जीव
के हृदय में वास करता है, मात्र उसे अपने अन्त:करण में उस
ईश्वर को देखने की मानसिक शक्ति अर्जित करने की अपेक्षा है । ...........क्रमश:
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