मस्तिष्क के सन्सकार : चरण 29


पद-परिचय-सोपान
मस्तिष्क के सन्सकार : चरण 29 प्रत्येक व्यष्टि समष्टि का अंग मात्र है । उपरोक्त कथन को भिन्न प्रकार से व्यक्त करते हुये प्रत्येक जीव-स्थूल-शरीर विराट का अंश है, प्रत्येक जीव-सूक्ष्म-शरीर हिरण्यगर्भ का अंश है, प्रत्येक जीव-कारण-शरीर ईश्वर का अंश है । ईश्वर समष्टि के अव्यक्त संचित कर्म-फलों का धारक है । व्यष्टि कारण शरीर केवल एक विशिष्ट जीव के संचित अव्यक्त कर्म-फल की धारक है । प्रत्येक जीव का पंच-प्राण समष्टि प्राण हिरण्यगर्भ के संचालन द्वारा संचालित हो रहे हैं । जगत् की समस्त गति प्रकृति का संचालन है । .......क्रमश:

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