मस्तिष्क के सन्सकार : चरण 15


पद-परिचय-सोपान
मस्तिष्क के सन्सकार : चरण 15 सु-सन्सकारी मस्तिष्क ही व्यक्ति को मोक्ष की स्थिति प्रशस्थ करता है । आत्मस्वरूप को सतत् मस्तिष्क में स्थिर रखने का सन्सकार ही कल्याणकारी है । यह आत्मा का वृत्ति-ज्ञान अर्थात् अहम् ब्रम्हास्मि एक बार प्राप्त हो जाने पर, उसे सतत् मस्तिष्क में स्थिर गतिमान रखना, उपरोक्त वृत्ति को मस्तिष्क का आम सन्सकार बनाने पर्यन्त का सतत् अभ्यास सर्वोच्च लक्ष्य निर्धारित कर, किये जाने वाले प्रयत्न तप हैं । तप द्वारा ही सिद्धी प्राप्त हो सकती है । उपरोक्त सन्सकार से अभिसंचित मस्तिष्क व्यक्ति को जीवन-मुक्त-दशा प्रदान करने में सक्षम होता है । जीवन-मुक्त व्यक्ति को इस कोबरा-जगत् का विष व्याप्त नहीं होता है ।.......क्रमश:

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