गुणातीत दशा मुक्ति
पद-परिचय-सोपान
गुणातीत दशा मुक्ति व्यक्ति का मस्तिष्क अपने नैसर्गिक रचनागत स्वभाव में, गुणाशक्ति को उद्यत होता है । तप, मस्तिष्क की मौलिक दुर्बलता का निवारण
करने में सक्षम होता है । तप से परिष्कृत मस्तिष्क गुणातीत ज्ञान की दशा का भोग
करता है । उपरोक्त कथित भोग-दशा ही जीवन-मुक्ति है । मोक्ष ही आनन्द है ।
चिर-शान्ति है । सर्वोच्च उपलब्धि है । तप पथ है । ..... क्रमश:
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