गुण-आशक्ति

पद-परिचय-सोपान
गुण-आशक्ति त्रिगुणात्मिका माया शक्ति, व्यक्ति के ज्ञान-आश्रय-स्थल मस्तिष्क को, आशक्ति के मोंह में बाँध देती है । मोहाशक्त व्यक्ति अपनी असहायता को आदत कहता है । उपरोक्त कथित आदत, मस्तिष्क की दुर्बलता का एक सौम्य पद मात्र है । उपरोक्त कथित मानसिक दुर्बलता का निवारण करने से ही ज्ञान-सम्भावना का उदय सम्भव होता है । मानसिक दुर्बलता केवल तप द्वारा क्षीण होती है । ज्ञान हेतु तप को निबिध्यासन पद प्रदान किया जाता है । ..... क्रमश

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