स्वाभाविक अभिव्यक्ति

पद-परिचय-सोपान
स्वाभाविक अभिव्यक्ति व्यक्ति का मनोवेगों के प्रति सामान्य प्रतिक्रिया की अभिव्यक्ति, उसके स्व की अनुभूति के आधार के आश्रित होती है । अहंकार के आधार से पोषित व्यक्ति की मनोवेगों के प्रतिक्रिया और आत्मा के आधार से पोषित व्यक्ति की मनोवेगो के प्रतिक्रिया में वृहद भेद पाया जाता है । सच्चे अर्थों में उपरोक्त कथित व्यक्ति की मनोवेगो के प्रतिक्रिया ही स्पष्ट लक्षण होते हैं, जिससे व्यक्ति में ज्ञान और अज्ञान के स्तर का मूल्याँकन सम्भव हो जाता है । ज्ञान की स्थिति मात्र स्वंभू: घोषणा नहीं है । ज्ञान व्यक्ति के आचरण में स्पष्ट प्रगट होता है । ज्ञान की दशा के व्यक्ति के लिये काम-क्रोध आदि उतने ही सहज हो जाते हैं जितना कि कोई भी सहज प्रवृत्ति होती है । ..... क्रमश

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

साधन-चतुष्टय-सम्पत्ति

चिदाभास

निषिद्ध-कर्म