मस्तिष्क का सन्सकार
पद-परिचय-सोपान
मस्तिष्क का सन्सकार मस्तिष्क के सन्चालन के नियंत्रण, का सन्सकार अर्थात् सामान्य अभ्यास बन जाना है । मस्तिष्क वृत्तियों के प्रवाह
के स्थल का नाम है । इस प्रकार मस्तिष्क का संचालन के नियंत्रण का सन्सकार अर्थात्
मस्तिष्क में गति करने वाली वृत्तियों का नियन्त्रण है । गति करने वाली वृत्तियां अत
सूक्ष्म होती हैं । इसलिये ही यह विषय गूढ बताया जाता है । एक काल विषेस में, विषेस प्रकार की वृत्तियाँ ही मस्तिष्क में गति करे, यह मस्तिष्क का सन्सकार है । उपरोक्त कथित सन्सकार, नियन्त्रण के फल से सम्भव है । यह नियन्त्रण जब मस्तिष्क का सामान्य अभ्यास
बन जाय तब यह मस्तिष्क का सन्सकार है । उपरोक्त समस्त विवरण से स्पष्ट है
कि यह प्रकरण सूक्ष्म और गूढ है । कोई चिन्ता की बात नहीं है । कार्य कितना भी गूढ
क्यों न हो, उचित विधि और दृढ निष्ठा द्वारा सम्भव हो जाता है ।
इसलिये विषय में प्रवेष के उपरान्त अब विषय को खण्डो में विभक्त करके एक एक चरण
आगे के अंको में इसका निराकरण और लक्ष्य की उपलब्धि पर्यन्त की यात्रा प्रस्तुत
करने का प्रयत्न किया जा रहा है | ........ क्रमश:
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