जगत्-अधिष्ठान-ईश्वर
पद-परिचय-सोपान
जगत्-अधिष्ठान-ईश्वर समस्त वस्तु-रूप के सत्यत्व का आधार निराकार ईश्वर, यह भक्ति की चर्मोत्कर्ष स्थिति है । यह अद्वैत वेदान्त का निरूपण है ।
यही कारण है कि अद्वैत वेदान्ती सहर्ष एक-रूप ईश्वर और बहुरूप ईश्वर की भी उपासना
करता है । प्रेम के समर्पण के लिये उच्च सिद्धान्त ईश्वर की मानसिक ग्राह्यता के
आधार पर विभाजन, भक्ति की श्रेणी के रूप में जाना जाता है
। जगत् के सत्यत्व के अधिष्ठान रूप में ईश्वर का स्वरूप, यह भक्ति की पराकाष्ठा स्थिति है । ..... क्रमश:
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