जगत्-कारण-ईश्वर
पद-परिचय-सोपान
जगत्-कारण-ईश्वर जब भी जगत्-कर्ता ईश्वर का विचार किया जाता है, तत्-समय जगत् के उपादान कारण का विचार सम्मुख हो जाता है । जगत् के
उपादान कारण के रूप में भी ईश्वर को ही निर्धारित किया जाता है । यह बहुरूप जगत्
ईश्वर की ही अभिव्यक्ति है । बहु-रूप ईश्वर, यह भक्ति का उत्तरोत्तर उच्च मानसिक
ग्राह्यता की स्थिति है । सर्व-रूप-जगत् अर्थात् विराट, सर्वजीव-जगत्-प्रपंच-हिरण्यगर्भ, सर्व-कारण-रूप ईश्वर विष्णु की
अभिव्यक्ति है । बहुरूप ईश्वर भक्ति है । ..... क्रमश:
जगत्+ईश्वर
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