जगत्-कर्ता-ईश्वर
पद-परिचय-सोपान
जगत्-कर्ता-ईश्वर उच्च सिद्धान्त के रूप में, ईश्वर को, साधक की मानसिक
अवस्था के आधार पर, अलग अलग रूपों में ग्रहण किया जाता है ।
इतना सुनियोजित सुन्दर जगत्, निश्चय ही किसी कुशल और बुद्धिमत्तापूर्ण
सिद्धान्त द्वारा ही सम्भव हुआ है । यह ईश्वर का जगत्-कर्ता रूप है । आराध्य ईश्वर
वह कुशल बुद्धि सिद्धान्त है, जिसके बौद्धिक कौशल से यह जगत् अपने रूप
में स्थिर है । ऐसे जगत्-कर्ता ईश्वर का कोई निश्चित स्वरूप, यह प्रारम्भिक अवस्था की भक्ति है । एक-रूप भक्ति है । .... क्रमश:
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