प्रेम का समर्पण


पद-परिचय-सोपान
प्रेम का समर्पण प्रेम का अर्पण, केवल तीन को सम्भव है । पहला उस लक्ष्य को जिसे व्यक्ति प्राप्त करना चाहता है । दूसरा उन साधनों को जिनके माध्यम से वह अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकता है । तीसरा परन्तु उपरोक्त वर्णित दोनो अर्थात् एक और दो से सशक्त, प्रत्येक व्यक्ति केवल अपनी आत्मा को प्रेम समर्पित कर सकता है । यहाँ तक कि व्यक्ति किसी भी अनात्मन को, केवल अपनी आत्मा की तुष्टि के लिये ही प्रेम करता है । ... क्रमश:

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