एक-पक्षीय-व्याप्ति
पद-परिचय-सोपान
एक-पक्षीय-व्याप्ति सर्व-विभू: आत्मा कण-कण में व्याप्त है । परन्तु आत्मा में अन्य किसी की
व्याप्ति सम्भव नहीं है । उपरोक्त कथित एक-पक्षीय व्याप्ति का कारण, आत्मा का सूक्ष्मतम् होना है । आत्मा ही समस्त अन्य का अधिष्ठान है ।
आत्मा के सत्यत्व के आश्रय द्वारा ही, सम्पूर्ण अन्य अनात्मन अस्तित्वमान है ।
चेतन-प्रपंचों में अधिष्ठान आत्मा अपने को चैतन्य के रूप में व्यक्त करती है ।
जड-प्रपंचों में अधिष्ठान आत्मा अपने को अस्तित्व के रूप में व्यक्त करती है । आत्मा का अनन्तत्व, जड और चेतन दोनो में, माया-शक्ति द्वारा आवृत्त है । .....
क्रमश:
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