ज्ञान-दशा


पद-परिचय-सोपान
ज्ञान-दशा अपने आत्म-स्वरूप में सतत् स्थापित रहना, यह ज्ञान की दशा है । ज्ञान की स्थापना स्थल मस्तिष्क है । मस्तिष्क का सतत् आत्म-स्वरूप में स्थिर रहना, ज्ञान की दशा है । मस्तिष्क में, आत्म-स्वरूप के व्यतिरिक्त किसी अन्य वृत्ति की गति-शून्यता की दशा, ज्ञान की दशा है । यद्यपि की व्यवहारिक जगत् के व्यवहार-रत् व्यक्ति के लिये, उपरोक्त कथित स्थिति, मात्र एक सैद्धान्तिक प्रतिपादन है, परन्तु मुमुक्षु ज्ञान-जिज्ञासु के लिये, उपरोक्त वर्णित दशा, साध्य ज्ञान-दशा है । ..... क्रमश:

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