मस्तिष्क के संस्कार

पद-परिचय-सोपान
मस्तिष्क के संस्कार कर्म-योग, उपासन-योग, ज्ञान-योग समस्त तीनो ही स्तरों के तप का उभयनिष्ठ लक्ष्य, मस्तिष्क का संस्का होता है । संस्कार अर्थात् मस्तिष्क जो कि लोकव्यवहार में संलग्न है, को व्यवहारिक स्तर से व्यवहारातीत ज्ञान-स्तर पर्यन्त का शोध है । व्यवहारिक वस्तु-रूप-ज्ञान मात्र लोकव्यवहार के लिये उपयोगी अनुभव है । यह माया-कल्पित जगत् की सीमा पर्यन्त ही प्रयोज्य है । आत्मज्ञान लोकातीत है । इसलिये मस्तिष्क का सन्स्कार महत्वपूर्ण अवयव है । समस्त ज्ञान-यात्रा परिमार्जित मस्तिष्क के आश्रय से ही सम्भव है । ..... क्रमश:  

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