क्षमता


पद-परिचय-सोपान
क्षमता व्यवहारिक जगत् के व्यक्ति के विचार में, क्षमता मुख्यत: भौतिक और मानसिक क्षेत्र में प्रभावी भूमिका की हैं । पुन: क्षमता को चिन्हित करना और उपलब्ध क्षमता का पूर्ण उपयोग करना यह व्यक्ति की कार्य-दक्षता के आंकलन के विचार में महत्व के अवयव हैं । भौतिक क्षमताओं की उपयोगिता सीमित परिमाप की हैं, जबकि मानसिक क्षमतायें व्यापक विस्तार की होती है । व्यक्ति की क्षमताओं के उपयोग से पूर्व उनका चिन्हित होना पहले महत्वपूर्ण है । कुछ क्षमतायें जन्म से उपलब्ध होती है और शेष अर्जित होती हैं । क्षमता उपरोक्त कथित किसी भी क्षेत्र की होवें, परन्तु उनका चिन्हित होना, उनका नियन्त्रित उपयोग सदैव मस्तिष्क द्वारा ही सम्भव है । उपरोक्त कथित विस्तृत विवेचना के आधार पर, मस्तिष्क ही व्यवहारिक व्यक्ति के उत्थान का आश्रय है । उत्थान, धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष पुरुषार्थ के क्षेत्र का है अथवा ज्ञान की जिज्ञासा के क्षेत्र का है, मस्तिष्क के आश्रित है । ..... क्रमश:   

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