मस्तिष्क के सन्सकार : चरण 1
पद-परिचय-सोपान
मस्तिष्क के सन्सकार : चरण 1 जैसा कि संस्कार का परिचय गत अंक में कराया गया, उसकी पुनरावृत्ति न करते हुये, सबसे पहले तो विचार इस बात का करना है कि, वह कौन सी वृत्तियाँ हैं जिनकी मस्तिष्क में गति को, मस्तिष्क का सामान्य अभ्यास बनाना है । उपरोक्त कथन को सरल ढंग से कहा
जा सकता है कि मस्तिष्क के संस्कार का लक्षित विषय क्या है ? उत्तर है, आत्मस्वरूप । अब प्रश्न और पीछे चला जाता
है, कि आत्मस्वरूप क्या है ? इस उत्तर से यात्रा का चरण 1 शुरू हो रहा
है, मस्तिष्क के पटल पर चैतन्य की दो क्षवियाँ विद्यमान हैं, एक चैतन्य जो मस्तिष्क में परिलक्षित हो रहा है जिसके फल से यह
जड-वस्तु-निर्मित-मस्तिष्क चेतन हो गया है, दो चैतन्य जो मात्र मस्तिष्क में
गति कर रही वृत्तियों का साक्षी है । मस्तिष्क के संस्कार प्रकरण का पहला चरण, उपरोक्त वर्णित चैतन्य की यथा-वर्णित-उपरोक्त को स्पष्ट और विलक्षण दो
क्षवियों के रूप में निर्धारण और स्मरण है । ...........क्रमश:
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