निष्काम-कर्म
पद-परिचय-सोपान
निष्काम-कर्म उत्तम-कर्म, सात्विक-कर्म, पुण्य-कर्म सभी पर्याय अभिव्यक्तियाँ हैं । शास्त्र उपदेश व्यक्ति के
मस्तिष्क को शुद्ध बनाने हेतु पुण्य-सात्विक-कर्मों को ईश्वर अर्पण भाव से करने का
पथ निर्दिष्ट करते हैं । सात्विक कर्म का एक सरल लक्षण, पर-उपकार है । व्यक्ति के कृत, जिस भी कर्म द्वारा किसी दूसरे प्राणी को
सुख मिले, वह पुण्य-सात्विक-कर्म है । सात्विक कर्म
के अभ्यास द्वारा व्यक्ति के मस्तिष्क में विद्यमान अज्ञान के दु:विचारों का शमन
होता है । मस्तिष्क पवित्र होने से व्यक्ति उत्तम-ज्ञान को ग्राह्य करने में सक्षम
बनता है । ..... क्रमश:
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें