श्रेय: प्राप्ति लक्ष्य
पद-परिचय-सोपान
श्रेय: प्राप्ति लक्ष्य वेदों में प्रेय: का उल्लेख तो इसलिये है कि यह प्रत्येक व्यक्ति का
नित्य लोकव्यवहार का ज्ञात पुरुषार्थ हैं । वास्तविक लक्ष्य तो प्रेय: प्राप्ति ही
होती है । श्रेय: स्वतन्त्रता की स्थिति है । प्रेय: प्रयत्न तो अज्ञान के आच्छादन
के कारण होते हैं । श्रेय: की प्राप्ति ज्ञान है । ..... क्रमश:
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