तीनो योग आवश्यक
पद-परिचय-सोपान
तीनो योग आवश्यक किसी भी ज्ञान-जिज्ञासु के लिये तीनो ही योग नामत: कर्म-योग, उपासन-योग, ज्ञान-योग का अभ्यास अनिवार्य है । अधिक
स्पष्ट करते हुये, तीनो योग वैकल्पिक नहीं हैं अपितु तीनो
ही मिलकर एक पूर्ण स्थिति हैं । प्रथम दो कर्म-योग और उपासन-योग तैयारी है, अन्तिम ज्ञान-योग उपलब्धि है । ज्ञान-प्रक्रिया मस्तिष्क की उत्कृष्ट
दशा की प्राप्ति है । इसलिये मस्तिष्क के परिमार्जन से प्रारम्भ करके विकसित दशा
से मार्गी होते हुये उत्कृष्ट पर्यन्त की यात्रा है । अज्ञान भ्रमित मस्तिष्क की
दशा है । ज्ञान शाश्वत् उत्कृष्ट सक्षम विकसित मस्तिष्क की दशा है । ..... क्रमश:
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