गूढता का रहस्य
पद-परिचय-सोपान
गूढता का रहस्य आत्मा सूक्ष्म तत्व है । व्यक्ति को अनुभव-ज्ञान के लिये उपलब्ध पांच
ज्ञानेन्द्रियां केवल बाह्य जगत् के वस्तु-रूप-ज्ञान के लिये योग्य प्रमाण हैं ।
आत्मा ज्ञान-विषय है । आत्मा किसी भी दशा में प्रमेय नहीं बन सकता है । इसलिये
आत्मा की प्रमा, ज्ञानेन्द्री प्रमाण द्वारा सम्भव नहीं
हो सकती है । उपरोक्त कथित कारण से आत्म-ज्ञान-गूढ है । जिस प्रकार आँखे समस्त
बाह्य जगत् को देख सकती हैं परन्तु स्वयं अपने को नहीं देख सकती हैं । उसी प्रकार
प्रमाता समस्त बाह्य जगत् का अनुभव करता है परन्तु स्वयं अपने स्वरूप का अनुभव
नहीं कर सकता है । स्वयं अपनी आँखों को देखने के लिये एक बाह्य सिद्धान्त, दर्पण का आश्रय लेना पडता है । उसी प्रकार आत्मा के ज्ञान के लिये
शास्त्र प्रमाण, जो कि दर्पण का कार्य करते हैं, के आश्रय से ही सम्भव हो सकता है । ..... क्रमश:
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