प्रियम्-वद्


पद-परिचय-सोपान
प्रियम्-वद् वैदिक पुरुष ! एक अनुशासित व्यक्ति ! एक व्यक्ति जिसके प्रत्येक कर्म अनुशासित हैं ! उस व्यक्ति के मस्तिष्क में गति करने वाली वृत्तियाँ अनुशासित हैं ! ऐसे अनुशासित वैदिक पुरुष के वचन, श्रोता व्यक्ति को सदैव प्रिय अनुभूति संचरित करने वाले होने ही होने है ! वेद आदेश करते हैं, प्रियम् वद् ! विचार करें, कोई भी अगला व्यक्ति प्रिय मृदुल वचन का वक्ता है, आप स्वयं श्रोता हैं, आपके मस्तिष्क में उपरोक्त कथित वचनो को सुनने पर किस प्रकार की अनुभूतियाँ गति करेंगी ? आपका निश्चयात्मक उत्तर है, सुखद ! वेद आदेशों की यह मंशा है ! एक उत्कृष्ट समाज, जिसमें प्रत्येक व्यक्ति, हर दूसरे व्यक्ति के प्रति सहज है, मृदुल है, शुभ है ! यह वैदिक समाज की क्षवि-दर्शन है । प्रयत्न अपेक्षित है । ...... क्रमश:  

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