सत्यम्-वद्


पद-परिचय-सोपान
सत्यम्-वद् वेद उपदेश का आदेश है, सदैव सत्य वचन बोलना है । सच बोलने वाले व्यक्ति के विचार, विचार-अभिव्यक्ति उसके वचन और उसके कर्म तीनो ही एक समन्वय में होते हैं । ऐसे व्यक्ति का आचरण सदैव सरल रहता है । ऐसा व्यक्ति जो मस्तिस्क में सोचेगा, जो मुँह से बोलेगा, जो कर्म करेगा तीनो एक ही होंगे इसलिये वह सरल व्यक्ति है । उपरोक्त वर्णित स्थिति, वाक् अनुशासन का दूसरा लक्षण है । लक्षित गन्तव्य सतत् स्मरणीय है । अनुशासित मस्तिष्क लक्ष्य है । अनुशासित वाक् पथ मात्र है । अभ्यास अपेक्षित है । अभ्यास ही तपस है । ..... क्रमश:

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