अन-उद्वेग-वाक्


पद-परिचय-सोपान
अन-उद्वेग-वाक् अनुशासन का उद्देष्य सतत् स्मरण रखना निवेदित है । मस्तिष्क का अनुशासन लक्ष्य है । मस्तिष्क सूक्ष्म होने के कारण प्रत्यक्ष के लिये उपलब्ध नहीं है । लक्ष्य साधना मस्तिष्क के अधीनस्थ कार्यरत् कर्म-स्थल स्थूल-शरीर और कर्मेंन्द्री वाक् के पथ से करना है । विदित हैं कि साधन-रूप शरीर और वाक् को अनुशासित रखकर ही, उपरोक्त कथित लक्षित ध्येय की प्राप्ति सम्भव है । अनुशासित वाक् का पहला लक्षण अन्-उद्वेग-वाक् है । अन-उद्वेग की स्थिति श्रोता को लक्षित है । ऐसी वाक् अभिव्यक्ति जिसे सुन कर श्रोता व्यक्ति को किसी प्रकार उद्विग्नता की अनुभूति नहीं सम्भव है । ज्ञातव्य है कि प्रत्येक व्यक्ति अपने स्वाभिमान को उत्कृष्टतम मानता है । यदि कोई भी व्यक्ति किसी भी व्यक्ति के आत्म-सम्मान को आघात पहुँचाने वाला वचन बोलेगा तो श्रोता व्यक्ति उसे बर्दास्त नहीं कर सकता है । उपरोक्त वर्णित अभिव्यक्ति हिंसा सदृष्य है । अत: मस्तिष्क के नियन्त्रण के विचार में अन्-उद्वेग-वाक् महत्वपूर्ण वाँक्षना है । अभ्यास अपेक्षित है । ..... क्रमश:  

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

साधन-चतुष्टय-सम्पत्ति

चिदाभास

निषिद्ध-कर्म