अनुशासित-वाक्


पद-परिचय-सोपान
अनुशासित-वाक् ज्ञान-जिज्ञासु की तपस-साधना के लिये, अनुशासित वाक् को अति-महत्वपूर्ण, उद्देष्य निर्धारित किया गया है । अनुशासन एक व्यापक-अर्थ-धारक शब्द है । वर्तमान विचाराधीन प्रकरण में, अनुशासन को चार चरणों नामत: अन-द्वेग-वाक्, सत्य-वचन, प्रिय-वचन, हित्-लक्षित-वाक में विभाजित कर वाँक्षित समाधि-योग की प्राप्ति का पथ प्रस्तुत किया जा रहा है । मस्तिष्क नियन्त्रण के विचार में वाक् का तात्विक योगदान है । विचार-वाक्-कर्म यह त्रिकुटी है । विचार-स्थल मस्तिषक होता है, विचार-उद्घोष वाक् द्वारा होता है, विचार का क्रिया-स्थल स्थूल-शरीर होती है । उपरोक्त वर्णित विस्तार से विदित है कि अनुशासन के विचार में अनुशासित वाक् अनिवार्य वाँक्षना है । ..... क्रमश:

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