अधिष्ठान
पद-परिचय-सोपान
अधिष्ठान सत्य अपने
सत्यत्व को, किसी अन्य को, जो कि सत्य नहीं
है, देता है, जिसके फल से
दूसरा भी सत्यवद् हो जाता है । उपरोक्त प्रक्रिया में जो सत्य अपने सत्यत्व को
दूसरे को दे रहा है, उसे सत्यवद् हो जाने
वाले दूसरे का अधिष्ठान कहा जाता है । अधिष्ठान का अज्ञान ही भ्रान्ति का कारण
बनता है । स्वर्ण अपने सत्यत्व को, मिथ्या रूप-नाम आभूषण को प्रदान करता है ।
उपरोक्त वर्णित दृष्टान्त में स्वर्ण का सत्यत्व ग्रहण कर रूप-नाम-आभूषण
अस्तित्वमान हो जाते हैं, सत्यवद् हो जाते हैं । उपरोक्त दृष्टान्त प्रकरण में, आभूषणों के
सत्यत्व का अधिष्ठान स्वर्ण है । ...... क्रमश:
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