आत्म-बोध
पद-परिचय-सोपान
आत्म-बोध आत्मा
ज्ञान-स्वरूप है । बोध शब्द का अर्थ भी ज्ञान होता है । इसलिये जब आत्म-बोध शब्द
का विचार सम्मुख होता है, तो एक विलक्षण प्रश्न पहले ही उपस्थित हो
जाता है, कि उपरोक्त वर्णन के अनुसार दो-दो
ज्ञान-बोधक शब्दों का प्रयोग एक साथ करने का अभिप्राय क्या है ? उपरोक्त वर्णित प्रश्न का उत्तर इस प्रकार है । किसी भी वस्तु-रूप-ज्ञान
का विश्लेषण करने पर उसमें दो प्रक्रियायें मिल कर ज्ञान-अनुभव के नाम से विख्यात
होती हैं । प्रक्रिया एक के रूप में मस्तिष्क में एक वृत्ति-व्याप्ति होती है ।
प्रक्रिया दो के रूप में उपरोक्त वर्णित ज्ञान-वृत्ति में सर्व-विभू:-चैतन्य की
व्याप्ति होती है । उपरोक्त वर्णित दोनो प्रक्रियाँओं की पूर्णता पर ज्ञान का उदय
होता है । विचाराधीन आत्म-बोध के प्रकरण-विषेस में आत्मा के वृत्ति-बोध को
आत्म-बोध कहा जाता है । ....... क्रमश:
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