शासक


पद-परिचय-सोपान 
शासक शास्त्रों के अध्ययन में शासक उस सिद्धान्त को कहा जाता है जिसके प्रसाद से वह विचाराधीन अवयव सम्भव होता है । व्यक्ति के वस्तु-रूप-ज्ञान के प्रकरण में शासक उसकी आत्मा होती है । व्यक्ति के कर्म के प्रकरण में शासक उसकी प्रकृति होती है । उपरोक्त कथित निर्णय शास्त्र-सम्मत उपदेश-निर्णय हैं । वर्तमान में उपरोक्त कथित निर्णयों को यथा वर्णित उपरोक्त ग्रहण करना ही श्रेयस्कर है । आगे की यात्रा में उपरोक्त निर्णायक निर्णयों का विस्तृत विश्लेषणात्मक उल्लेख भी प्राप्त कराया जायेगा । ...... क्रमश: 

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