क्षेत्रज्ञ

पद-परिचय-सोपान 
क्षेत्रज्ञ क्षेत्र के ज्ञाता को क्षेत्रज्ञ कहा जाता है । क्षेत्र अर्थात् चौबीस अवयव सिद्धान्त द्वारा निरूपित व्यक्ति होता है । उपरोक्त वर्णित व्यक्ति समस्त लोक-व्यवहार में सम्मलित होता है । समस्त लोक-व्यवहार ही जगत् का स्वरूप है । उपरोक्त वर्णित व्यक्ति ही जगत् का ज्ञाता होता है । प्रश्न उठता है कि उपरोक्त वर्णित व्यक्ति का ज्ञाता कौन है ? उत्तर है, उपरोक्त कथित व्यक्ति के समस्त-वस्तु-रूप-ज्ञान का शासक उसकी आत्मा होती है । उपरोक्त कथित आत्मा ही क्षेत्रज्ञ होती है । ....... क्रमश

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