क्षेत्र


पद-परिचय-सोपान
क्षेत्र शास्त्रो के अध्ययन में व्यक्ति की शरीर को क्षेत्र के रूप में व्यक्त किया गया है । शरीर की पाँच ज्ञानेन्द्रियाँ, पाँच कर्मेन्द्रियाँ, पँच-महाभूत जिनसे शरीर सृजित हुई है, पँच ज्ञानेन्द्रियों के पाँच अनुभव-क्षेत्र, मस्तिष्क का प्रकृति द्वारा शासित प्रभाग जिसे शास्त्रीय अध्ययन में “मन” कहा जाता है, अहंकार, और वासना-वृत्तियाँ कुल योग चौबीस अवयव प्रभावी भूमिका के निर्धारित किये जाते हैं । व्यक्ति को केन्द्र मानने के दो व्यक्त कारण होते हैं । पहला व्यक्ति ही जगत् के व्यवहार का प्रथम-एक-बचन एकाकी विषय होता है । दूसरा प्रथम-एक-बचन एकाकी व्यक्ति ही ज्ञान का जिज्ञासु भी होता है । उपरोक्त कथित कारणों के आधार पर शास्त्र व्यक्ति को क्षेत्र निर्धारित करते हैं । ...... क्रमश:  

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