आत्मा-अनात्मा-सम्बन्ध


पद-परिचय-सोपान
आत्मा-अनात्मा-सम्बन्ध चैतन्य का विचार जब एकाकी अनात्मन-स्थूल-सूक्ष्म-कारण-शरीर के प्रसंग में किया जाता है, तब उसे आत्मा शब्द द्वारा व्यक्त किया जाता है । चैतन्य का विचार जब समष्टि अनात्मन-प्रपंचों के प्रसंग में किया जाता है, तब उसे परमात्मा शब्द द्वारा व्यक्त किया जाता है । आत्मा और परमात्मा, लोकव्यवहार में प्रयुक्त दो अलग पद-नाम हैं, जो कि एक ही चैतन्य-तत्व के लिये दो अलग प्रसंगो में किये जाते हैं । एक ही चैतन्य-तत्व के आश्रय पर समस्त अनात्मन अस्तित्वमान हैं । चैतन्य-तत्व ही ज्ञान-स्वरूप है । ..... क्रमश:

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