त्रिगुणात्मिका-माया


पद-परिचय-सोपान
त्रिगुणात्मिका-माया अनिर्वचनीय माया तीन-गुणों से युक्त है । त्रिगुणों का विस्तार परिभाषित करते हुये शास्त्र उपदेश करते हैं, सत्व ज्ञान-शक्ति है, रज़स् क्रिया-शक्ति है, तमस् द्रव्य-शक्ति है । माया-कल्पित जगत् के प्रत्येक अवयव उपरोक्त-कथित त्रिगुणों से आच्छादित हैं । चेतन और जड यह दोनो माया-कल्पित जगत् के परस्पर क्रिया-प्रतिक्रिया के अवयव हैं । उपरोक्त कथित जड और चेतन एक दूसरे के आकर्षण और बन्धन हैं । त्रिगुणों के आच्छादन के फल से ही जीव ब्रम्ह की उपस्थिति से अनभिज्ञ है, अज्ञानी है । गुणातीत स्थिति ब्रम्ह है । ज्ञान की स्थिति है । ..... क्रमश:

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