अव्यक्त-दशा-परिणय-लय


पद-परिचय-सोपान
अव्यक्त-दशा-परिणय-लय माया-कल्पित-जगत् सदैव उत्पत्ति और लय की दशा का चक्र है । उत्पत्ति व्यक्त दशा है । लय अव्यक्त दशा में परिणय है । व्यक्त यह लोकव्यवहार का जगत् है । अव्यक्त सत्य ब्रम्ह है । व्यक्त अनुभवगम्यता है । अव्यक्त अनुभवातीत है । अनुभवगम्य भ्रान्ति है । अनुभवातीत अधिष्ठान है । अनुभवगम्य माया-कल्पित है । अनुभवातीत पारमार्थिक-सत्य है । अनुभवगम्य-प्रातिभासित है । ..... क्रमश:   

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

साधन-चतुष्टय-सम्पत्ति

चिदाभास

निषिद्ध-कर्म