प्रेय:


पद-परिचय-सोपान
प्रेय: पूर्व-वर्णित धर्म-अर्थ-काम-पुरुषार्थो में कुछ उभयनिष्ठ स्थितियाँ पायी जाती हैं । असुरक्षा-अपूर्णता की अनुभूति व्यक्ति को मानसिक क्लेष जनित करने वाली होती हैं । उपरोक्त कथित असुरक्षा-अपूर्णता को पुरुषार्थ द्वारा प्राप्त होने पर उनके संचय का भय मानसिक क्लेष का कारण बनता है । उपरोक्त कथित तीनो ही पुरुषार्थ व्यक्ति के भौतिक श्रम द्वारा प्राप्त होते है । उपरोक्त कथित सम स्थितियों के आधार पर, उपरोक्त कथित तीनो ही पुरुषार्थों को एक उभयनिष्ठ नाम प्रेय: के पद से ख्याति की जाती है । ..... क्रमश:

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