धर्म-पुरुषार्थ
पद-परिचय-सोपान
धर्म-पुरुषार्थ प्रत्येक व्यक्ति के पास अव्यक्त संचित पुरुषार्थ होते हैं, जिनका सम्बन्ध पूर्व के जन्म के पुरुषार्थ से होता है, उन्हे धर्म-पुरुषार्थ कहा जाता है । ऐसे धर्म-पुरुषार्थ व्यक्ति के
वर्तमान जन्म के साथ साथ भविष्य के जन्मों को भी प्रभावित करने वाला होता है ।
व्यक्ति की प्रौढावस्था का सृजन उसके बाल्यावस्था के सृजन के आधार पर होता है ।
बाल्यावस्था का सृजन व्यक्ति के माता-पिता के प्रयत्नों के आधार पर होता है ।
माता-पिता का चयन व्यक्ति का अपना चयन नहीं होता है । भविष्य के जन्म में व्यक्ति
के माता-पिता का निर्धारण व्यक्ति के संचित धर्म-पुरुषार्थ के आधार पर होता है ।
..... क्रमश:
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