शमादिषटसम्पत्ति
पद-परिचय-सोपान
शमादिषटसम्पत्ति (क) शम: मस्तिष्क में गति करने वाली वृत्तियों का नियंत्रण (ख) दम: -
इंद्रीय नियंत्रण, ज्ञातव्य है कि इन्द्रीय-वासना-वृत्तियाँ
मस्तिष्क को अशान्त बनाती है, इसलिये शान्त मस्तिष्क की अपेक्षा की
पूर्ति के लिये इन्द्रीय-वासना का नियन्त्रण अपेक्षित होता है । (ग) उपरति: - मस्तिष्क के नियंत्रण को स्थायी
बनाना उपरति कहा जाता है । (घ) तितीक्षा - सुख और दु:ख आदि में समान भाव से
मस्तिष्क को शांत दशा में रहना तितीक्षा कहा जाता है । (च) श्रद्धा – गुरू और
शास्त्र में विश्वास की मानसिक वृत्ति श्रद्धा कही जाती है । (छ) समाधानम् – चित्त
की एकाग्रता को समाधानम् कहा जाता है । उपरोक्त छ: मस्तिष्क के धर्मों को
शमादिषटसम्पत्ति कहा जाता है । उपरोक्त वर्णित छ: धर्मों को एक शब्द
मानसिक-अनुशासन द्वारा भी व्यक्त किया जा सकता है । ज्ञान-प्रक्रिया मस्तिष्क
द्वारा सम्भव होती है, मस्तिष्क में सम्भव होती है, मस्तिष्क द्वारा होती है । इसलिये मस्तिष्क का अनुशासन ज्ञान-जिज्ञासु
के लिये सर्वोच्च महत्व का होता है । ..... क्रमश:
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