भ्रान्ति


 पद-परिचय-सोपान                        
भ्रान्ति सत्य के अज्ञान से भ्रान्ति का जन्म होता है । किसी भी वस्तु-रूप-ज्ञान के प्रकरण में वस्तु-सत्य के दो भाग हैं, एक सामान्य ज्ञान और दो विषेस ज्ञान, सामान्य ज्ञान वह है कि कोई वस्तु है, विषेस ज्ञान वह है कि वह वस्तु क्या है । यदि उपरोक्त वर्णित विषेस ज्ञान आच्छादित है, केवल सामान्य-ज्ञान प्रत्यक्ष द्वारा विदित है, तो ऐसी दशा में विषेस सत्य-ज्ञान के स्थान पर किसी काल्पनिक अन्य सत्य-रूप का ज्ञान सृजित होता है, जो कि भ्रान्ति ज्ञान होता है । आच्छादित सत्य एक होता है, परन्तु इस आच्छादित सत्य के स्थान पर अनेक भ्रान्ति की कल्पना सम्भव हो सकती है । भ्रान्ति का जन्म सत्य के अज्ञान से होता है, इसलिये भ्रान्ति का निवारण सदैव सत्य के ज्ञान द्वारा सम्भव होती है ..........क्रमश: 

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