अनुमान-प्रमाण
पद-परिचय-सोपान
अनुमान-प्रमाण अनुमान को व्यक्त करने के लिये, अनुमान वाक्य में चार अनिवार्य अवयवो का समावेश करना, नियमों की बाध्यता होती है । अवयव एक – पक्ष – पक्ष अर्थात् अनुमान का
स्थल जिसके सम्बन्ध में अनुमान को व्यक्त किया जा रहा है । अवयव दो – साध्यम् –
साध्यम् अर्थात् अनुमान द्वारा आहरित किया गया निष्कर्ष होता है । अवयव तीन – पक्ष
– पक्ष उस लक्षण को कहा जाता हैं जिसके साक्षात् के आधार पर अनुमानित निश्कर्ष को
आहरित किया गया है । अवयव चार – दृष्टान्त – दृष्टान्त जो कि साक्षात् पर आधारित
होता है, परन्तु अनुमान के प्रकरण से भिन्न किसी अन्य
स्थल से सम्बन्धित होता है, जो कि जन-जन को ज्ञात होता है, और जिसमें साध्यम् और पक्ष को एक साथ उपस्थिति अनिवार्य वाँक्षना के रूप
में होती है । वैदिक शास्त्रों के अध्ययन में सामान्यतया एक दृष्टान्त अनुमान
वाक्य जिसे उद्घृत् किया जाता है, वह इस प्रकार है, “पहाड पर अग्नि है, क्योंकि धूआँ दिखाई पड रहा है, जिस प्रकार
पाकशाला में होता है” । उपरोक्त दृष्टान्त में पहाड पक्ष है, अग्नि साध्यम् है, धूँआ पक्ष है, पाकशाला सर्वज्ञात दृष्टान्त है, जो कि जन-जन को ज्ञात है और जिसमें धूँआ और अग्नि की एक साथ उपस्थिति
अनिवार्य अनुभव होता है, अर्थात् धूँआ वहीं होना सम्भव है जहाँ
अग्नि विद्यमान है । ध्यान देने योग्य है कि बिना धूँआ के अग्नि का होना सम्भव
होता है, परन्तु बिना अग्नि के हुये धूँआ का होना
सम्भव नहीं हो सकता है ....... क्रमश:
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