प्रत्यक्ष-प्रमाण


 पद-परिचय-सोपान                       
प्रत्यक्ष-प्रमाण व्यक्ति के पास बाह्य जगत् के नाम-रूपों का अनुभव-ज्ञान प्राप्त करने के लिये पाँच ज्ञानेन्द्रियाँ हैं । प्रत्येक का क्षेत्र अलग है, यथा चक्षु इन्द्री का क्षेत्र रूप-रंग प्रभाग है, कर्ण-इन्द्री का क्षेत्र ध्वनि प्रभाग है, इसी प्रकार अन्य भी हैं । उपरोक्त वर्णित पाँच ज्ञानेन्द्रियों द्वारा व्यक्ति जो भी अनुभव-ज्ञान बाह्य-जगत् से प्राप्त करता है, उसे प्रत्यक्ष ज्ञान कहा जाता है । ज्ञातव्य है कि अनुभव-ज्ञान प्राप्त करने की अन्य विधियाँ भी होती हैं । परन्तु समस्त विधियों में, प्रत्यक्ष को सर्वाधिक प्रामाणिक माना जाता है ........ क्रमश:

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