निबिध्यासन
पद-परिचय-सोपान
निबिध्यासन गुरू
के उपदेश को जीवन-यापन में चरितार्थ करने का अभ्यास
निबिध्यासन कहा जाता है । जैसा कि उपदेश का लक्ष्य बताया गया है, उपदेश के अनुरूप जीवन यापन ज्ञान का उद्देष्य है । ज्ञान व्यक्ति का
स्वरूप है । अपने स्वरूप में जीवन-यापन ज्ञान है । व्यवहारिक मनुष्य भ्रान्ति
अहंकार का जीवन-यापन कर रहा है । व्यक्ति के ज्ञान का लक्ष्य अपने स्वरूप में जीवन
यापन का है । भ्रान्ति अहंकार से सत्य-स्वरूप की प्राप्ति का पथ, शास्त्र-प्रमाण के माद्यम से गुरू द्वारा उपदेशित आत्म-ज्ञान को, अभ्यास द्वारा अंगीकार करना निबिध्यासन है । ....... क्रमश:
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