वृत्ति


पद-परिचय-सोपान   
वृत्ति मस्तिष्क का समस्त संचालन वृत्तियों के आश्रय से होता है । प्रत्येक ज्ञान इन्द्री द्वारा, बाह्य जगत् के अनुभवों का, मस्तिष्क को संचरण, वृत्ति रूप में होता है । प्रत्येक ज्ञानेन्द्री द्वारा संचरित वृत्ति, अन्य ज्ञानेन्द्री द्वारा संचरित वृत्ति से विलक्षण होती हैं । वृत्ति-भेद के आधार पर ही अनुभवों की भिन्नता सम्भव होती है । वृत्तियाँ सदैव सूक्ष्म होती हैं । मस्तिष्क प्रत्येक कर्मेन्द्रि को कार्य-संचालन-निर्देश वृत्तियों के माध्यम से करता है । प्रत्येक भिन्न कर्मेन्द्री को संचरित कार्य-संचालन-निर्देश वृत्ति अन्य कर्मेन्द्री को संचरित कार्य-संचालन-निर्देश वृत्ति से विलक्षण होती है । मस्तिष्क में गति करने वाली वृत्तियों की अधिकता ही मस्तिष्क की अशान्ति स्थिति को निरूपित करती है । मस्तिष्क में गति करने वाली वृत्तियों का नियंत्रित सन्चार ही मस्तिष्क का नियन्त्रण कहा जाता है । ....... क्रमश:

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

साधन-चतुष्टय-सम्पत्ति

चिदाभास

निषिद्ध-कर्म