मन


पद-परिचय-सोपान     
मन मनोवेगों का पोषक प्रभाग है । मनोवेग यथा काम, क्रोध, मोंह, ईर्ष्या, मत्सर, आदि हैं । उपरोक्त कथित मनोवेगों का उदय अहंकार के पोषण से होता है । उपरोक्त कथित मनोवेगों के पोषण के फल से मस्तिष्क अस्थिर होता है । अस्थिरता मस्तिष्क में गति करने वाली वृत्तियों का बाहुल्य होती है । अस्थिर मस्तिष्क ज्ञान जिज्ञासा के लिये अयोग्य होता है । ज्ञान के आभाव में व्यक्ति का जीवन अंधकार में भटकता है ........ क्रमश:

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