पंच-कोष-विवेक


 पद-परिचय-सोपान                       
पंच-कोष-विवेक व्यक्ति के शरीर-मस्तिष्क-समुदाय में व्यवहृत किये जा रहे चैतन्य के सूक्ष्म-ज्ञान की व्याख्या को ग्राह्य बनाने के लिये पूर्व में शरीर के तीन स्तर नामत: स्थूल-सूक्ष्म-कारण का उल्लेख किया गया था । उपरोक्त विभाजन का एक और भिन्न वर्गीकरण जिसमें उपरोक्त शरीर-मस्तिष्क-समुदाय को पाँच भागों नामत: अन्नमय-कोष, प्राणमय-कोष, मनोमय-कोष, विज्ञानमय-कोष और आनन्दमय-कोष के रूप में किया जाता है । उपरोक्त वर्गीकरण का औचित्य उस स्थल पर स्पष्ट होगा जब इसे व्याख्या-काल में प्रयोग किया जायेगा, वर्तमान में अन्नमय-कोष अर्थात् अन्न-शरीर या स्थूल-शरीर, प्राणमय-कोष अर्थात् पंच-प्राण, मनोमय-कोष अर्थात् मस्तिष्क का “मन नाम से विख्यात् अंश जो कि मस्तिष्क के मनोवेगों का प्रभाग होता है, विज्ञानमय-कोष अर्थात् मस्तिष्क का “विवेक” नाम से विख्यात् अंश जो कि मस्तिष्क के निश्चायत्मक निर्णयों का प्रभाग होता है, आनन्दमय-कोष अर्थात् कारण-शरीर जो कि द्वैत-रहित दशा आनन्द-दशा की प्रतीक होती है ........ क्रमश:  

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