प्रस्थान-त्रय


पद-परिचय-सोपान                       
प्रस्थान-त्रय अद्वैत-वेदान्त के तीन आधार-भूत शास्त्र नामत: उपनिषद, भगवद्गीता और ब्रम्हसूत्र हैं । इनमें तीनो का संक्षिप्त परिचय इस प्रकार है । उपनिषद ग्रन्थ वेदों के ही अंग हैं । वेदों के कुछ अंश को अलग कर उपनिषद के नाम से स्वतन्त्र अलग से विख्यात किया गया है । यह अधिकतर गुरू और शिष्य के मध्य संवाद के रूप में हैं । यह श्लोक रूप में भी हैं और गद्य रूप में भी हैं । जो श्लोक-रूप में हैं उन्हें मन्त्र उपनिषद कहा जाता है, और जो गद्य के रूप में हैं उन्हे ब्राम्हण-उपनिषद कहा जाता है । भगवद्गीता सात सौ श्लोकों का संकलित ग्रन्थ है । इसमें अठ्ठारह अध्याय हैं । इसमें गुरू योगेश्वर श्रीकृष्ण हैं और शिष्य पार्थ-अर्जुन हैं । यह ग्रन्थ, महाभारत जो कि इतिहास ग्रन्थ है और जिसके रचयिता वेद-व्यास-महर्षि-व्यासाचार्य हैं, के शान्ति पर्व के मध्य से उद्घृत किया गया है । इसे स्मृत-ग्रन्थ कहा जाता है । ब्रम्ह-सूत्र जैसा कि नाम से विदित है, सूत्र-ग्रन्थ है । इसमें कुल पाँच सौ पछपन सूत्र हैं, जिन्हे चार अध्याय, और इक्यानवे अधिकरणों में विभक्त किया गया है । स्वतन्त्र-विलक्षण-विषय को ब्रम्ह-सूत्र-ग्रन्थ के प्रकरण में अधिकरण नाम प्रदान किया गया है । ब्रम्ह-सूत्र ग्रन्थ न्याय-ग्रन्थ कहा जाता है । ब्रम्हसूत्र के रचयिता व्यासचार्य हैं । ...... क्रमश:

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