व्यवहारिक-सत्य
पद-परिचय-सोपान
व्यवहारिक-सत्य काल इस व्यवहारिक जगत् की सीमा है । व्यवहारिक सत्य सापेक्ष सत्य है । सापेक्ष आश्रित होता है । इस प्रकार
व्यवहारिक सत्य पारमार्थिक सत्य के आश्रय द्वारा सत्य है । व्यवहारिक सत्य का
पारमार्थिक सत्य अधिष्ठान है । व्यवहारिक सत्य का सत्यत्व पारमार्थिक सत्य पर
लम्बित है । घट नाम-रूप है । घट नाम-रूप का सत्यत्व मृद पर आश्रित है । यदि घट में
से मृद अंश को हटा लिया जाय तो घट नाम-रूप में कुछ भी शेष नहीं बचेगा, इसलिये घट नाम-रूप मात्र है जिसका सत्यत्व मृद के आश्रय पर है । स्वर्ण
आभूषण केवल नाम-रूप हैं । स्वर्ण आभूषणों का सत्यत्व स्वर्ण के आश्रय पर लम्बित है
। यदि कंचिद स्वर्ण आभूषणों में से स्वर्ण अंश को हटा लिया जाय तब स्वर्ण आभूषण
नाम-रूपों में कुछ भी शेष नहीं बचेगा, इसलिये स्वर्ण आभूषणों का सत्यत्व स्वर्ण
के आश्रय पर है, इसलिये यह आश्रित सत्य है । इसी प्रकार
व्यवहारिक सत्य का प्रत्येक अवयव पारमार्थिक सत्य के आश्रय पर है । यह जगत् व्यवहारिक सत्य है । इस व्यवहारिक सत्य
जगत् का सत्यत्व पारमार्थिक सत्य आत्मा के आश्रय पर है । इसलिये यह सापेक्ष सत्य
है । इसलिये यह आश्रित सत्य है ...... क्रमश:
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