विराट


पद-परिचय-सोपान                       
विराट समष्टि-स्थूल-शरीर-देवता को विराट नाम दिया गया है । समष्टि-कारण देवता ईश्वर (विष्णु-भगवान) ने हिरण्यगर्भ समष्टि-सूक्ष्म-शरीर-देवता (ब्रम्हाजी) को व्यक्त रूप में प्रगट किया, पुन: हिरण्यगर्भ ने समष्टि-स्थूल-शरीर-देवता विराट को व्यक्त-रूप में प्रगट किया, इस प्रकार विराट समष्टि-स्थूल-शरीर-देवता हैं । विराट-देवता ने अपने को विभक्त कर के समस्त जीव प्रपंच के रूप में विस्तृत कर दिया, यह सृष्टि प्रक्रिया का शास्त्रों में वर्णित क्रम है । इस रूप में विराट देवता प्रत्येक जीव के स्थूल शरीर के रूप में विद्यमान हैं । उपरोक्त   अभिव्यक्तियाँ एक दूसरे की पर्याय हैं । उपरोक्त अभिव्यक्तियों की स्पष्ट छवि मस्तिष्क में अपेक्षित है, क्योंकि आगे के अंको में प्रस्तुत किये जाने वाले व्याख्या प्रसंगो के प्रकरणों में यथा प्रसंग विराट को सन्दर्भित किया जाना है ..... क्रमश:

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