व्यष्टि-समष्टि
पद-परिचय-सोपान
व्यष्टि-समष्टि एक व्यक्ति को आधार बनाकर किया जाने वाला विचार व्यष्टि है । सम्पूर्ण
जगत् को आधार बनाकर किया जाने वाला विचार समष्टि है । प्रकृति का संचालन लक्ष्य
समष्टि के लिये होता है । प्रकृति व्यष्टि को समष्टि के अंग के रूप में ग्रहण करती
है । इस प्रकार स्वाभाविक न्याय स्वरूप में प्रत्येक व्यष्टि समष्टि का अन्श है ।
प्रत्येक व्यष्टि में समष्टि विद्यमान रहती है । उपरोक्त कथित न्याय को स्वीकारने
वाला व्यक्ति स्वाभाविक अनुकूलता का भोग करता है । उपरोक्त कथित न्याय का उलंघन
करने वाला व्यक्ति संघर्ष की स्थिति का सामना करता है ........ क्रमश:
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